रविवार, 17 सितंबर 2017

शारदीय नवरात्रि 2017: कैसे करे माँ दुर्गा को प्रसन्न..? इन विशेष बातों का रखे ध्यान..!

शारदीय नवरात्रि 2017: कैसे करे माँ दुर्गा को प्रसन्न..? इन विशेष बातों का रखे ध्यान..!

शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ इस वर्ष 21 सितम्बर से होने जा रहा है। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जायेगी। यह नवरात्रि 21 सितम्बर से लेकर 29 सितम्बर तक चलेंगे।

वैसे तो एक वर्ष में चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ के महीनों में कुल मिलाकर चार बार नवरात्र आते हैं, लेकिन इन सब में से शारदीय नवरात्र सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। इसे महानवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।

★21 सितम्बर 2017: पहले दिन घटस्थापना होगी और मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी।

★22 सितम्बर 2017: द्वितीय दिन माँ दुर्गा के दुसरे स्वरुप, मां ब्रह्मचारिणी, की पूजा की जाएगी।

★23 सितम्बर 2017: नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरुप, चन्द्रघंटा, की पूजा की जाएगी।

★24 सितम्बर 2017: चतुर्थी को माँ कूष्मांडा की पूजा की जाएगी।

★25 सितम्बर 2017: पंचमी को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी।

★26 सितम्बर 2017: षष्ठी को मां कात्यायनी की पूजा की जाएगी।

★27 सितम्बर 2017: सप्तमी को मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी।

★28 सितम्बर 2017: अष्टमी को मां महागौरी की पूजा की जाएगी।

★29 सितम्बर 2017: नोवमी को मां सिद्धदात्री की पूजा की जाएगी।

कैसे करे माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों को प्रसन्न :-
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•माँ दुर्गा का सर्वप्रिय रंग लाल है इसीलिए नवरात्रि में लाल रंग के आसन, पुष्प और वस्त्र का प्रयोग करना चाहिए।

•अपने घर के मंदिर में देसी गाय के घी से माता की अखंड ज्योत प्रज्वलित करनी चाहिए और दुर्गा सप्तसती और दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए।

•बहुत ही प्रेम और निष्ठा के साथ माँ की आरती करनी चाहिए।

•शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रों के दौरान अगर माँ दुर्गा को प्रतिदिन पवित्र जल अर्पित किया जाये तो माँ दुर्गा अत्यधिक प्रसन्न हो जाती हैं।

•कन्याओं को माँ दुर्गा का रूप माना जाता है इसीलिए ऐसी मान्यता है कि घर आई किसी भी कन्या को खाली हाथ विदा नहीं करना चाहिए। साथ ही साथ, किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति या भूखे को कभी माना नहीं करना चाहिए।

•नवरात्रों में व्यक्ति को नौ दिनों तक देवी माता जी का विशेष श्रृंगार करना चाहिए। श्रृंगार में माता जी को चोला, फूलों की माला, हार और नये-नये कपड़ों से माता जी का श्रृंगार करना चाहिए।

नवरात्रि में क्या न करें :-
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•मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि में जो व्रतधारी नवरात्रि में कलश और माता की चौकी स्थापित करते हैं, उन्हें इन 9 दिनों में घर नहीं छोड़ना चाहिए।

•नवरात्रि के दौरान खाने में प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए। घर में सिर्फ सात्विक भोजन बनना चाहिए।

•व्रत रखने वाले को काले कपड़ें नहीं पहनने चाहिए और पवित्र कपड़ों का ही प्रयोग करना चाहिए।

•नवरात्रों में व्यक्ति को दाढ़ी, नाखून व बाल नहीं कटवाने चाहिए। शास्त्रों ने इन कार्यों को नवरात्रों में साफ़ मना किया है।

शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

🚩'#बाहुबली: #द_कन्क्लूजन'🚩
#बाहुबली__2 का फ़िल्म रिव्यू, पता चल ही गया कि #कटप्पा ने #बाहुबली को क्यों मारा था!

इंतज़ार की घड़ियां अब ख़त्म हो गई हैं। बाहुबली 2 रिलीज़ हो चुकी है। फ़िल्म की कहानी को लेकर बहुत सारे कयास लगाए जा रहे थे। एस एस राजमौली के निर्देशन में बनी यह फ़िल्म भारतीय फ़िल्म इतिहास की सबसे बड़ी फ़िल्म है।

#राज़ से नहीं #रिकैप से शुरू होती है फ़िल्म:

बाहुबली 2 की शुरुआत रिकैप से होती है। फ़िल्म की शुरुआत में ही बाहुबली की चाची और राजमाता (राम्या कृष्णा) और बाहुबली (प्रभास) के रिश्तों को टटोलने की कोशिश की जाती है। यह पूरी फ़िल्म उस रिकैप का हिस्सा है जो पहली फ़िल्म में बीच-बीच में दिखाया गया था।

#बाहुबली_2 पहली #बाहुबली का #प्रीक्वल है। यानी यह पहली फ़िल्म से पहले की कहानी है। इस फ़िल्म में अमरेन्द्र बाहुबली (प्रभास) और उसके चचेरे भाई भल्लाल (राणा दुग्गुबती) के आपसी मतभेदों की कहानी है।
बाहुबली के राज्याभिषेक से पहले उसे और कटप्पा (सत्यराज) को राज्यभ्रमण पर भेजा जाता है। इसी दौरान वह खूबसूरत राजकुमारी देवसेना (अनुष्का शेट्टी) से मिलता है। देवसेना लड़ाई में प्रशिक्षित हैं।
बाहुबली उसको देखकर मुग्ध हो जाता है। इस दौरान कुछ कॉमेडी सीन हैं जो काफ़ी गुदगुदाते हैं और तालियां बटोरते हैं।

इसके बाद शुरू होता है #लव_ट्रायंगल:

बाहुबली तो पहले ही देवसेना को अपना दिल दे बैठा है। वहीं राजमाता अपने बेटे भल्लाल के लिए देवसेना को पसंद करती हैं। जैसा कि राजसी कहानियों में होता है, यहां भी षड्यंत्र रचे जाते हैं।
बाहुबली को राज्य से निकाल दिया जाता है। वह देवसेना के साथ आम जनता के बीच रहने लगता है।

👉#राजमाता_के_कहने_पर_मारा_था_कटप्पा_ने_बाहुबली_को!

यह खुलासा भी इस फ़िल्म में हो जाता है।
एक साज़िश के तहत देवसेना के भाई को भल्लाल को मारने के लिए उकसाया जाता है। देवसेना के भाई पर आरोप लगता है कि वो बाहुबली के कहने पर भल्लाल को मारने आया है।
बाहुबली को झूठे आरोप में फंसा दिया जाता है‌। राजमाता भी इस साजिश में फंस जाती हैं। राजमाता भी बाहुबली को गुनाहगार मानती हैं और कटप्पा को हुक्म देती हैं कि वह बाहुबली को मार डाले।
#राजमाता के #आदेश पर मजबूर होकर #कटप्पा ये जिम्मेदारी ले लेता है और वह #बाहुबली को धोखे से मार देता है। और #भल्लाल आकर उसकी लाश के टुकड़े-टुकड़े कर देता है।

पहली फ़िल्म से बेहतर #ग्राफ़िक्स:

इस फ़िल्म के ग्राफ़िक्स पहली फ़िल्म से काफ़ी बेहतर हैं। देवसेना का राज्य बाहुबली के राज्य से ज़्यादा सुंदर है। एक्शन सीक्वेंस बहुत कमाल के हैं। फ़िल्म "लार्ड ऑफ़ दि रिंग्स" की याद दिलाते हैं।
कटप्पा और बाहुबली के बीच कुछ कॉमेडी सीन हैं,पूरी फ़िल्म के दौरान कई बार।

#संगीत फ़िल्म का सबसे #कमज़ोर पक्ष:

फ़िल्म के गीत बेवजह रखे हुए लगते हैं। गाने लम्बे और खींचे हुए मालूम होते हैं। गीत-संगीत फ़िल्म का सबसे हल्का पक्ष है। फ़िल्म के बेहतरीन क्लाइमेक्स और एक्शन सीन के बीच यह गाने अपनी छाप नहीं छोड़ पाते।

फ़िल्म का #क्लाइमेक्स:

फ़िल्म का क्लाइमेक्स कमाल का है। आख़िरी एक्शन सीन ने यह फ़िल्म एक अलग ही मुकाम को हासिल कर लेती है।
अनुष्का शेट्टी देवसेना के रोल में बिलकुल फिट लगी हैं। प्रभास को स्क्रीन पर देखना एक अच्छा अनुभव है। इस फ़िल्म के लिए की गई उनकी मेहनत साफ़ दिखती है।
कटप्पा और बाहुबली के बीच के कुछ कॉमेडी सीन दर्शकों को बहुत पसंद आए हैं। उम्मीद की जा सकती है कि यह फ़िल्म पहली फ़िल्म से बड़ी हिट साबित होगी।✔✔✔✔✔

👉Lucky singh

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शनिवार, 15 अप्रैल 2017

हनुमत धाम:-
हनुमत धाम भारत में उत्तरप्रदेश के ऐतिहासिक नगर शाहजहाँपुर में बिसरात घाट पर खन्नौत नदी के बीचोबीच स्थित एक पर्यटन स्थल है। यहाँ पर 104 फुट ऊँची हनुमान की विशालकाय मूर्ति स्थापित है। हनुमत धाम को बनाने का संकल्प शहर के विधायक सुरेश कुमार खन्ना ने उस समय लिया था जब वे पहली वार उत्तर प्रदेशसरकार में मन्त्री बने थे। ऐसा माना जाता है कि भारतवर्ष में हनुमानजी की यह सबसे बड़ी प्रतिमा है।

हनुमत धाम में स्थापित देश की अब तक की सबसे बड़ी हनुमानजी की प्रतिमा को बनाने का कार्य 4 मई 2003 को प्रारम्भ किया गया था। लगभग 10 वर्ष और 2 माह के रिकार्ड समय में यह विशालकाय मूर्ति बनकर तैयार हुई। केवल हनुमानजी की मूर्ति की ऊँचाई ही 104 फुट है। जिस पर्वत पर मूर्ति को स्थापित किया गया है वह भी 21 फुट ऊँचा है। इस तरह पृथ्वी से प्रतिमा की सम्पूर्ण ऊँचाई 125 फुट है। वकौल सुरेश खन्ना शिमला में 81 फुट, उड़ीसा में 75.5 फुट तथा सीता पट्टी में 85 फुट ऊँची मूर्तियाँ हैं। इस मूर्ति को तैयार करने में राजस्थान से लाये गये 11 शिल्पकारों का नेतृत्व कुशल मूर्तिकार वीरेन्द्र खुडानिया ने किया। मूर्ति के निर्माण कार्य में लगभग डेढ़ करोड़ रुपये खर्च हुए।